टीबी (ट्यूबरक्लोसिस , यक्ष्मा , तपेदिक या क्षय रोग ) एक संक्रमण रोग है जो ज्यादातर फेंफड़ो में होता है। टीबी के इलाज में 3 से 6 महीने लग सकते हैं कुछ परिस्थितियों में ज्यादा भी।
2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार भारत में टीबी के 20 लाख 97 हजार मामले थे।
टीबी के प्रकार
- लेटेंट टीबी : इस प्रकार की टीबी का मतलब होता है की बैक्टीरिया आपके शरीर में हैं पर आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें सक्रिय नहीं रही है।
- सक्रिय टीबी : इस प्रकार की टीबी का मतलब होता है की आपके शरीर में मौजूद बैक्टीरिया विकसित और सक्रिय हो चुके हैं और आपको इसके लक्षण भी महसूस होने लगेंगे। यदि आप टीबी से संक्रमित हैं तो आपके कारण यहाँ दूसरों को भी फ़ैल सकती है।
टीबी के लक्षण
लेटेंट टीबी होने पर इसके कोई लक्षण महसूस नहीं होते हैं इसे सक्रिय टीबी होने में कई सैलून का समय लग सकता है।सक्रिय टीबी में निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं :
- खांसी के साथ खून या बलगम आना।
- 3 हफ़्तों से अधिक समय तक खांसी का रहना।
- खांसते या स्वांस लेते समय गले में दर्द होना।
- अस्पष्टीकृत थकन।
- बुखार।
- भूख न लगना।
- रात में पसीना आना।
- वजन काम होना।
टीबी साधारणतः फेंफड़ों को प्रभावित करता है पर यहाँ अन्य अंगों गुर्दे, रीढ़ मष्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।
टीबी होने के कारण
टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया के कारन होता है। यह बैक्टीरिया हवा के कारण फैलता है , जब यह बैक्टीरिया हवा में होता है तो किसी भी व्यक्ति के स्वांस लेते समय यह व्यक्ति द्वारा खिंच लिया जाता है।परिस्तिथियाँ जिनमें लोगो को टीबी होने की संभावनाएं अधिक होतीं हैं :
- जिन लोगों को HIV , मधुमेह, गुर्दे का रोग , कैंसर या अन्य कोई ऐसा रोग हो जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता हो रूमटॉइड ,क्रोहन्स , सोरायसिस आदि हो।
- जो टीबी संक्रमित लोगों के आस -पास रहते या उनकी देखधल करते हो।
- जो नशीले पदार्थों का सेवन करते हों।
- जो ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाकों में रहते हों।
- जिनके इलाके में टीबी कई लोगों को होती रही हो।
टीबी से बचाव की उपाय :
टीबी से बचाव के लिए बचपन में बीजीसी बिसिमल केल्मेट ग्यूरिन नामक टीका लगाया भी टीबी होने की कुछ संभावनाएं बची रहतीं हैं। यह टीका वयस्कों पर ज्यादा असर नहीं करता है।- जिस व्यक्ति को टीबी हो उसके साथ बंद ज्यादा समय न बिताएं जब तक की उसका इलाज पूर्ण न हो जाए।
- जिन लोगों को टीबी हो उन्हें और उनके साथ रहने वाले लोगों को मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
- उपचार के लिए दिए हुए सरे निर्देशों का पालन करना चाहिए
टीबी की जाँच के परीक्षण :
- पीपीडी टेस्ट : यह टेस्ट त्वचा पर किया जाता है इसे प्यूरीफाइड प्रोटीन डेरिवेटिव टेस्ट भी कहते हैं। त्वचा के जिस हिस्से पर यह टेस्ट होता है अगर 2 -3 दिन बाद वहां कोई निशान बन जाता है तो समझिये आपको टीबी है। पर टीबी सक्रिय है या नहीं यह इस टेस्ट से पता नहीं चलता है। कभी कभी इस टेस्ट के नतीजे गलत भी आ जाते हैं, टीकाकरण के तुरंत बाद इस टेस्ट का नतीजा सकारात्मक आता है।
- छाती का एक्सरे : यदि आपका पीपीडी टेस्ट सकारात्मक आता है तो आपका एक्सरे किया जाएगा की आपके फेंफड़ों पे छोटे धब्बे हैं की नहीं। यह धब्बे टीबी के संक्रमण के संकेत होते हैं। यदि आपके एक्सरे का नतीजा नकारात्मक अत है तो समझ लीजिये आपका पीपीडी टेस्ट गलत है या आपको लेटेंट टीबी है।
- लार का टेस्ट : आपके फेंफड़ों मई से लार निकल कर उसका टेस्ट भी किया जा सकता है और अगर नतीजा सकारात्मक आया तो समझ लो आपको टीबी है।
- रक्त का टेस्ट : रक्त का टेस्ट यह सुनिश्चित करता है की आपको लेटेंट टीबी है या सक्रिय टीबी है। क्वांटी फेरोन टीबी गोल्ड और टी स्पोट दो प्रकार के टेस्ट इसके लिए किये जाते हैं।

टीबी के इलाज के लिए निम्नलिखित दवाओं का उपयोग किया जाता है ;
- आइसोनियाज़िड कंटेंट युक्त दवाइयां।
- रिफाम्पिन कंटेंट युक्त दवाइयां।
- पयिराजिनामाइड कंटेंट युक्त दवाएं।
- एइथाम्बुलोट या म्यम्बुलोट दवाइयां।
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