एक नशा पीड़ित और दुखद अंत
यह भोपाल में संचालित श्री जी के ऐस नाश मुक्ति केंद्र के 8 साल के दुखद अनुभवों में से एक कहानी है | 2017 जनवरी की एक शाम गुना से एक 40 -42 किलो का लड़का महेश नाम का केंद्र में भर्ती होने आया, हालत बहोत ज्यादा ख़राब थी पूछने पर पता चला की वह स्मैक , गांजा, भांग, चरस अदि कई प्रकार के नशे करता रहा है पिछले 3 साल से जिसके कारन उसकी पढाई भी छूट गई | महेश की उम्र लगभग 22 साल थी और वह नशे का पूरी तरह से आदी हो चूका था घर वालों के बहुत कहने पर वो 1 महीने का वादा ले कर केंद्र में इलाज के लिए भर्ती हो गया | इस एक महीने में महेश डेटॉक्स, योग , मैडिटेशन अन्य कई दैनिक गतिविधियों की सहायता से कुछ बेहतर हो गया और देखते देखते एक महीना बीत गया | एक माह बाद जब परिजन मिलने आए तो उसका बेहतर स्वस्थ्य देख कर बहो खुश हुए पर महेश परिजनों से जिद करने लगा की वह ठीक हो गया है और उसकी छुट्टी संस्था से करवा कर उसे घर ले चलें अंततः परिजन उसकी बात का विश्वाश कर उसे घर ले गए जबकि संस्था के कर्मचारियों ने समझाया था की अभी वो मानसिक तौर पर ठीक नहीं हुआ है अगर वह इलाज के बिच में से जाएगा तो वह फिर से उसी नशे की गिरफ्त में जा सकता है |
महेश के x-Ray का एक फोटो
करीब 1 साल बाद महेश का नशा मुक्ति केंद्र के एक कर्मचारी पर फ़ोन आया कि वह भोपाल में ही है और उसे मदत की जरुरत है तो वह कर्मचारी उसे केंद्र पर ले आया इस बार महश की हालत पहले से भी ज्यादा ख़राब हो चुकी थी | महेश पुरे शरीर की नसों में इंजेक्शन लगा कर ख़राब कर चूका था, उसे बहुत अधिक बुखार था और महेश देर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था अतः संस्था के सदस्यों ने उससे केंद्र में रहने का वादा लेकर उसका इलाज करवाना बिना समय गवाए शुरू कर दिया 2 माह बीतते बीतते वह फिर से स्वस्थ होने लगा और फिर दिवाली आ गई से मिलने की जिद कर महेश दो दिन के लिए घर चला गया फिर वापस नहीं लोटा | घर बात करने पर पता चला की वो फिर से नशा करने है और संस्था न जाने के बहाने बना रहा है | समय निकलता रहा महेश नहीं आया पर 3 महीने बाद महेश की बहन का फ़ोन आया की महेश की हालत बहुत ख़राब है वह इंदौर के किसी हॉस्पिटल में भर्ती है | खबर मिलते ही संस्था के कर्मचारियों ने हॉस्पिटल में डॉक्टर्स से संपर्क किया तो पता चला की महेश बचने की कोई उम्मीद नहीं है नशे के इंजेक्शंस के कारन उसे HIV हो गया है और उसके फेंफड़ो मई भी बहुत इन्फेक्शन हो गया है , नशे के ओवरडोज़ के कारन उसका दिमाग भी काम करना बंद कर चूका है और शाम तक महेश के कष्ट भरे जीवन के सफर की समाप्ति की दुखद हमें मिली |
जिस तरह से आज हमारे देश में युवाओं का नशे की तरफ रुझान बढ़ रहा है वह वाकई बहुत गंभीर विषय है। वह युवा जिसे हम अपने देश की शक्ति मानते हैं ,जिसे हम अपने देश का उज्जवल भविष्य मानते हैं उसे आज नशे के कीड़े ने इस तरह जकड लिया है जैसे अजगर अपने शिकार को जकड़ता है और फिर मौत के बाद ही अपने शिकार को छोड़ता है।
अगर आप नशा नहीं करते तो आप बधाई के पत्र हैं।
सामर्थ कुमार डण्डौतिया
भोपाल, मध्य प्रदेश
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